"Pahle Murgi Aayi Ya Anda: Ek Paheli" (पहले मुर्गी आई या अंडा: एक पहेली)



 माना जाता है कि पहले अंडा आया था फिर मुर्गी। यह एक मशहूर पहेली है जिसमें यह सवाल पूछा जाता है कि कौन पहले आया, मुर्गी या अंडा? इस पहेली का जवाब विवादित होता है और अलग-अलग मत हो सकते हैं। इस पहेली का कोई निश्चित उत्तर नहीं होता है।

 बातों को आगे बढ़ाते हुए, इस पहेली को एक विज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार किया जा सकता है।


जब हम विज्ञान की दृष्टि से देखें, तो हम जानते हैं कि अंडा एक जीवाणु से बनता है जो मादा मुर्गी के शरीर में उत्पन्न होता है। इसलिए, सामान्य रूप से मुर्गी पहले आती है और फिर अंडा उत्पन्न होता है।


इसी तरह, दार्शनिक या धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो भगवान को देवी लक्ष्मी के रूप में मुर्गी का संकेत दिया गया है, जो धन और समृद्धि की प्रतीक हैं। इसलिए, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मुर्गी पहले आती है और उसके बाद ही धन का प्रतीक रूप में अंडा प्राप्त होता है।


इस प्रकार, यह पहेली विज्ञानिक और धार्मिक दृष्टिकोणों से विभाजित होती है और उसका उत्तर संबंधित व्यक्ति या संस्था के धार्मिक या वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर निर्भर करेगा /

यदि हम इस पहेली को जीवविज्ञान के प्रकाश में विचार करें, तो यह देखा जा सकता है कि मुर्गी और अंडा दोनों एक प्रकार के विकास के प्रतीक हैं। एक मुर्गी के शरीर में अंडा बनाने की क्षमता होती है और इस प्रक्रिया के माध्यम से वे नए जीवाणुओं को जन्म देती हैं। इसलिए, अंडा मुर्गी के जीवन के अभिन्न अंग हैं और इसलिए दोनों के आविर्भाव के बीच कोई स्थानीय कार्यक्रम नहीं होता है। इस दृष्टिकोण से देखें तो पहले अंडा आता है और फिर मुर्गी।


यह एक रोचक तरीका है जिसमें हम विभिन्न दृष्टिकोणों से एक समस्या को देख सकते हैं और उसके अन्तर्निहित तत्वों को समझ सकते हैं। इस पहेली के उत्तर में कोई ठीक-ठाक समझौता नहीं है, इसलिए इसे व्यक्ति की विचारशक्ति और विचार करने की क्षमता का उदाहरण माना जा सकता है।


अगर हम इस पहेली को आधारभूत अर्थशास्त्र के प्रिंसिप पर विचार करें, तो यह संभव है कि उत्पादन और स्रोतींकरण के सन्दर्भ में यह पहेली देखी जा सकती है।


उत्पादन की दृष्टि से देखा जाए, तो अंडा मुर्गी के उत्पादन का परिणाम है। इसलिए, मुर्गी पहले आती है और फिर उसके द्वारा अंडा उत्पन्न होता है। इस दृष्टिकोण से देखें तो पहले मुर्गी आती है और फिर अंडा।


विपणन और स्रोतींकरण की दृष्टि से देखा जाए, तो यह आधारभूत स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि अंडा पहले आया है और उसके बाद ही मुर्गी। यदि हम विचार करें कि अंडा एक प्रोडक्ट है जिसे विभिन्न स्रोतों से उपभोग करने के बाद मुर्गी के रूप में विपणन किया जाता है, तो इस दृष्टिकोण से देखें तो पहले अंडा आता है और फिर मुर्गी।


इस प्रकार, यह पहेली व्यापारिक और उत्पादक दृष्टिकोणों पर निर्भर करेगी और इसका उत्तर व्यक्ति के व्यवसायिक मंच औरदृष्टिकोण पर निर्भर करेगा

यदि हम इस पहेली को इतिहास और मानवीय सिद्धांतों के संदर्भ में विचार करें, तो यह देखा जा सकता है कि इस पहेली का उत्तर एक प्रकार से परम्परागत और संघर्षमय उदाहरण के रूप में इंसानी विकास को दर्शाता है।


ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखें, तो हम जानते हैं कि मुर्गी का जन्म बिना अंडे के संभव नहीं होता। इसलिए, विभिन्न प्राचीन संस्कृतियों और जीवविज्ञान के विकास के सन्दर्भ में, अंडा पहले आया है और उसके बाद ही मुर्गी। यह भौतिक दर्शन के संदर्भ में एक प्रकृतिगत उत्पत्ति योजना का उदाहरण है, जिसमें पहले अंडा आता है और उसके बाद ही जीव का जन्म होता है।


इसके अतिरिक्त, मानवीय सिद्धांतों की दृष्टि से देखें, तो यह पहेली मानवीय विकास के संघर्ष का एक प्रतीक हो सकती है। इंसान का स्वाभाविक प्रवृत्ति हमेशा समस्याओं के समाधान के लिए नए और आविष्कारी तरीकों की खोज में रहता है। इस पहेली में भी हमें दो अलग-अलग मत होते है

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